Monday, October 10, 2011

हर पल जलता है आदमी क्यू ??

हर पल जलता है आदमी क्यू ??
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सब कुछ खोखला है इस दुनिया में
आदमी के विचारो से पार ये जहाँ है
क्यों खोजते है हम खुद को वहा
जहा कभी हमारा वजूद ही न रहा है.........
शून्य से निर्मित होता है सब
और शून्य ही अंत में बचा है
फिर भी सारी जिन्दगी
बटोरने में जुड़ा है...............
सपनों के घरोंदे है
खयालो की टहनी पर
जब खुली आंख तो
न टहनी न घरोंदा बचा है............
सब कुछ पाने के लिए
न सोता न जगता है
पैरो में भवरा लगाकर
चाहत के पीछे भागता है.............
कल जो तेरा दिन निकलेगा
न जाने तू इस दुनिया मे होगा
फिर आजकी जिन्दगी के पल
क्यों कल के सुकून के लिए गवता है........
तेरे अरमानो के पंख अभी
उड़ने के लिए तड़प रहे
कितना भी फडफडएगा तो भी
समय के हातो में ही मुकद्दर फसा है.................
कर बरोसा खुद पर
किस्मत भी साथ रहेगी
आज की जिन्दगी तो जी ले पहले
कल फिर नयी शुरवात रहेगी...................

छोटी छोटी बातो की ये कहानी है
छोटी सी बात है पर पूरी जिन्दगी की रवानी है ....

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