"जिद्द -एक प्रवास,,
Wednesday, October 19, 2011
इस दिये को देख आज कुछ याद आता है
इस दिये को देख आज कुछ याद आता है
मेरा वजूद भी इसकी जिन्दगी से जुड़ जाता है
रोशन करके जैसे ये बुझ जाता है
कुछ ऐसे ही मेरा भी हर सपना टूट जाता है..
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