"जिद्द -एक प्रवास,,
Thursday, October 6, 2011
नादान हैं हम सनम जरा समझो इस दिल को
नादान हैं हम सनम जरा समझो इस दिल को
बेपनाह हैं चाहत अब पाना हैं तेरे साथ मंझिल को,
मत करना कभी शक मेरी वफ़ा पर ऐ दीवानी
खुद जलकर रोशन करूँगा चाहत की महफ़िल को..!!
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